रूह के राज़

रूह के राज़

जब देखो कोई अपना खोल दो रूह के राज़
देखो फूल तो गाओ जैसे बुलबुल बाआवाज़

लेकिन जब देखो कोई धोखे व मक्कारी भरा
लब सी लो और बना लो अपने को बन्द घड़ा

वो पानी का दुश्मन है बोलो मत उसके आगे
तोड़ देगा वो घड़े को जाहली का पत्थर उठाके

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