हू से हवा में
शकलें बेशकली से बाहर आईं, गई उसी में
क्योंकि ‘सच है हम वापस लौटते उसी में’
तू मर रहा हर दम व वापस हो रहा हर दम
कहा मुस्तफ़ा ने बस एक दम का ये आलम
हमारी सोच एक तीर है उस हू से हवा में
हवा में कब तक रहे ? लौट जाता खुदा में
(सच…उसी में=कुरान में, मुस्तफ़ा=
मुहम्मद साहब की उपाधि, हू=सूफ़ियों
का खुदा को बुलाने का एक नाम)