
Category: Mirza Assadullah Ghalib Hindi Translations
नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने
नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने क्या बने बात जहाँ बात बताए न बने मैं बुलाता तो हूँ उस को मगर ऐ जज़्बा-ए-दिल…
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया दिल जिगर तिश्ना-ए-फ़रियाद आया दम लिया था न क़यामत ने हनूज़ फिर तिरा वक़्त-ए-सफ़र याद आया सादगी-हा-ए-तमन्ना यानी फिर वो…
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक दाम-ए-हर-मौज में है हल्क़ा-ए-सद-काम-ए-नहंग देखें क्या गुज़रे है…
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले डरे क्यूँ मेरा क़ातिल क्या रहेगा उस…
है बस-कि हर इक उन के इशारे में निशाँ और
है बस-कि हर इक उन के इशारे में निशाँ और करते हैं मोहब्बत तो गुज़रता है गुमाँ और या-रब वो न समझे हैं न समझेंगे…
रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो
रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो हम-सुख़न कोई न हो और हम-ज़बाँ कोई न हो बे-दर-ओ-दीवार सा इक घर बनाया चाहिए…
इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही
इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही मेरी वहशत तिरी शोहरत ही सही क़त्अ कीजे न तअल्लुक़ हम से कुछ नहीं है तो अदावत ही…
न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता हुआ जब…
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता तिरे वा’दे पर जिए हम तो ये जान झूट जाना…